कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ की रिलीज तब संभव होगी, जब फिल्म में सेंसर बोर्ड की समिति द्वारा सुझाए गए कुछ कट्स किए जाएंगे। यह जानकारी सेंसर बोर्ड ने बॉम्बे हाई कोर्ट में दी।
यह फिल्म, जो पहले 6 सितंबर को रिलीज होने वाली थी, सिख समुदाय के विरोध के बाद से अटकी पड़ी है। सिख समुदाय का आरोप है कि इस फिल्म में उनके समुदाय की गलत तस्वीर पेश की गई है।
सेंसर बोर्ड की ओर से पेश अधिवक्ता अभिनव चंद्रचूड़ ने न्यायमूर्ति बीपी कोलाबावाला और फिरदोस पूनावाला की बेंच को बताया कि फिल्म के लिए कुछ संशोधन सुझाए गए हैं, जिन्हें पूरा करने के बाद ही सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा।
फिल्म के सह-निर्माता ज़ी स्टूडियो की ओर से दायर याचिका में सेंसर सर्टिफिकेट जारी करने की मांग की गई थी। ज़ी स्टूडियो के वकील शरण जगतियानी ने अदालत में एक दस्तावेज़ पेश किया, जिसमें फिल्म में 11 बदलावों की सूची थी।
इन 11 संशोधनों में कुछ कट्स और नई सामग्री के इन्सर्ट शामिल हैं। अब फिल्म निर्माता तय करेंगे कि वे इन संशोधनों को स्वीकार करेंगे या नहीं। अगर वे इन संशोधनों से सहमत नहीं होते, तो आगे कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर तक स्थगित कर दी है।
फिल्म ‘इमरजेंसी’ एक जीवनी आधारित राजनीतिक थ्रिलर है, जिसमें 1975-1977 के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल की कहानी दिखाई गई है। इस फिल्म का लेखन, निर्देशन और निर्माण कंगना रनौत ने खुद किया है।
हाल ही में सिख संगठनों ने फिल्म की ऐतिहासिक तथ्यों और सिख समुदाय की गलत छवि को लेकर चिंता जताई है। इन संगठनों ने फिल्म पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
किसान आंदोलन और तीन कृषि कानूनों पर कंगना रनौत की विवादित टिप्पणियों के बाद फिल्म पर प्रतिबंध की मांग ने जोर पकड़ लिया है। कंगना के इन बयानों को लेकर भाजपा ने भी उन्हें फटकारा, जिसके बाद उन्होंने अपने बयान वापस ले लिए।
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